बहुत पुरानी बात है
तीसरी कक्षा में पढ़ते थे
गंगापुर में रहते थे |
मिशन स्कूल के क्लासरूम में बैठे-बैठे पहले दिन
देखा एक लड़का हाथ में लिए था मेरी पेंसिल |
आव देखा न ताव मैं लगा उससे लड़ने
छीना-झपटी में पेंसिल टूटी और लगे जूते पड़ने
मैं हड्डी वो मोटू था लगाए मुझे चांटे
तभी बगल से एक लड़की बोली "अरे ओ मोटे"
वो आवाज सुनकर मुझे बचने की उम्मीद नजर आई
मुड़कर देखा तो एक सुन्दर सी लड़की नजर आई
वो बोली क्यों पीटता है इसको ये नया लड़का है
कितना मासूम सा और कितना भोला दीखता है
जान बचाई उसने मेरी और अपना टिफ़िन भी खिलाया
मेरी पेंसिल मेरे बैग में ही थी ये भी दिखलाया
ये देख वो मोटू जल के राख हो गया
और मुझ छः साल के बच्चे को पहला प्यार हो गया |
तीसरी कक्षा में पढ़ते थे
गंगापुर में रहते थे |
मिशन स्कूल के क्लासरूम में बैठे-बैठे पहले दिन
देखा एक लड़का हाथ में लिए था मेरी पेंसिल |
आव देखा न ताव मैं लगा उससे लड़ने
छीना-झपटी में पेंसिल टूटी और लगे जूते पड़ने
मैं हड्डी वो मोटू था लगाए मुझे चांटे
तभी बगल से एक लड़की बोली "अरे ओ मोटे"
वो आवाज सुनकर मुझे बचने की उम्मीद नजर आई
मुड़कर देखा तो एक सुन्दर सी लड़की नजर आई
वो बोली क्यों पीटता है इसको ये नया लड़का है
कितना मासूम सा और कितना भोला दीखता है
जान बचाई उसने मेरी और अपना टिफ़िन भी खिलाया
मेरी पेंसिल मेरे बैग में ही थी ये भी दिखलाया
ये देख वो मोटू जल के राख हो गया
और मुझ छः साल के बच्चे को पहला प्यार हो गया |
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
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