इश्क़ में झूठी कसमें खाना कौन बड़ी बात है
वादा करके भूल जाना कौन बड़ी बात है
बुलंदियों पर बैठे है और सारा दहर साथ है,
ऐसे में तेरा लौट के आना कौन बड़ी बात है ।
तू ग़म में चला आता तो कोई बात भी थी,
खुशियों में शरीक होना कौन बड़ी बात है ।
बस्ती बस्ती फिरता हूँ मैं तेरी एक तस्वीर लिए,
इश्क़ में यूं दीवाना होना कौन बड़ी बात है।
तुम अपने ख्वाब भी किसी के नाम करो तो मानें,
इश्क़ में "मौन" जाँ दे देना, कौन बड़ी बात है ।
ऐसे में तेरा लौट के आना कौन बड़ी बात है ।
तू ग़म में चला आता तो कोई बात भी थी,
खुशियों में शरीक होना कौन बड़ी बात है ।
बस्ती बस्ती फिरता हूँ मैं तेरी एक तस्वीर लिए,
इश्क़ में यूं दीवाना होना कौन बड़ी बात है।
तुम अपने ख्वाब भी किसी के नाम करो तो मानें,
इश्क़ में "मौन" जाँ दे देना, कौन बड़ी बात है ।
© लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
दहर=world
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