होनी को तो बहुत मंजूर था मगर होने ना दिया
उसकी दुवाओं ने मुझे मुन्तशिर होने ना दिया
बहुत ख़्वाबीदा सी लग रही है आंखें तुम्हारी
कुछ तो है जिसने तुम्हें शब भर सोने ना दिया
अजीब शक्श है और अजीब है इश्क़ उसका
हजार सितम किये मुझपे और रोने ना दिया
दुनिया के इस सहरा में भी साथ हैं हम तुम
कुछ तुमने मुझे कुछ मैंने तुम्हें खोने ना दिया
वो रात गोया एहतिज़ार के लम्हात सी गुजरी
"मौन" तेरे आने की उम्मीद ने सोने ना दिया
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"