यूँ आधा इश्क़ मैनें और आधा उसने किया,
इंतख़ाब मैंने किया इख़्तिताम उसने किया।
ये कैसे दाग नजर आ रहे है पैराहन पर मिरे
इतनी बेतरतीबी से मुझे कत्ल किसने किया
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
उनके बिना हम कितने अकेले पड़ गए जेसे दिल पर कईं तीर नुकीले पड़ गए उदु के साथ वक्त ए मुलाक़ात पर हमें देख कर वो पीले पड़ गए बीच तकरार में अपन...
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