तेरे बगैर भी जीना, कोई मुश्किल तो नहीं
सब कुछ तो है वैसा ही, बस एक दिल तो नहीं
तू नहीं तो क्या तेरी यादें तो बसर करती है
घर चाहे खाली हो मेरा, खाली दिल तो नहीं
ख़याल तेरे सताते है मुझको भी दिन रात
माना सख्त-दिल हूँ मगर, संग-दिल तो नहीं
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
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