एक हलकी फुलकी मजाकिया गजल
गर्मियों का उत्सव मनाएं, चलो आम खाएं
काम का प्रेशर हटायें, चलो आम खाएं
टेंशन लेने से भी कोई हल तो नहीं निकलेगा
फिर क्यूँ तनाव में आयें, चलो आम खाएं
उन लोगों को खुशिया बांटे जो दुखी हों
फिर साथ बैठकर मुस्कुराएं, चलो आम खाएं
हर समस्या का कोई न कोई हल तो निकलेगा
काटकर खाएं या आमरस बनाएँ, चलो आम खाएं
©लोकेश ब्रह्मभट्ट "मौन"
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